SDM Ritu Rani Success Story: ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के’ जानिए साधारण किसान की बेटी के SDM बनने की पूरी कहानी

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SDM Ritu Rani Success Story

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SDM Ritu Rani Success Story: रितु रानी यूपीपीसीएस 2019 में 34वीं रैंक प्राप्त करके डिप्टी कलेक्टर बन गईं. रितु रानी वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर की रहने वाली हैं. रितु रानी (SDM Ritu Rani Success Story) के पिता एक साधारण किसान थे. पिता ने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए न सिर्फ गांव से शहर पढ़ाई के लिए भेजा बल्कि शहर में कई वर्षों तक उसे सपनों को पूरा करने का मौका दिया।

SDM Ritu Rani Success Story: आमिर खान की फिल्म दंगल का एक डॉयलॉग काफी मशहूर हुआ था ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के’। यह डॉयलॉग महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता में एक कदम आगे बढ़ाने की सोच को जोरदार प्रोत्साहन देता है। आपको बता दें दंगल फिल्म साल 2016 में आई थी तब यह डॉयलॉग देशभर में बहुत ही मशहूर हुआ था। आज हम आपको एक बेटी और पिता के संघर्ष की बताने जा रहे हैं जो कुछ-कुछ इस फिल्म जैसी कहानी है। यह कहानी कुश्ती की नहीं बल्कि बेटी (SDM Ritu Rani Success Story) को शिक्षित और सफल बनाने के लिए गांव और समाज से किए गए संघर्ष की है। जिसके पिता ने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए न सिर्फ गांव से शहर पढ़ाई के लिए भेजा बल्कि शहर में कई सालों तक उसे सपनों को पूरा करने का पूरा अवसर दिया।

SDM Ritu Rani Success Story
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मां बाप जब अपने बच्चों की पढ़ाई की बात करते हैं तो बस यही सोचकर करते हैं कि यह बड़े होकर वह कोई अच्छा काम करे. यद्यपि घर का बच्चा जब अफसर बनता है तो खुशी सभी को होती है और जब बच्चे की मेहनत के साथ-साथ उसमें मां बाप की भी मेहनत लगती है तो यह खुशी और भी ज्यादा हो जाती है.

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आपको बता दें, आमिर खान की फिल्म दंगल का एक डॉयलॉग काफी मशहूर हुआ था ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के’. यह महिलाओं को सशक्त बनाने वाली सोच को प्रोत्साहन करता है. आज हम आपको एक बेटी और पिता के संघर्ष की बताने जा रहे हैं जो कुछ-कुछ इस फिल्म जैसी कहानी है। यह कहानी कुश्ती की नहीं बल्कि बेटी को शिक्षित और सफल बनाने के लिए गांव और समाज से किए गए संघर्ष की है। जिसके पिता ने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए न सिर्फ गांव से शहर पढ़ाई के लिए भेजा बल्कि शहर में कई सालों तक उसे सपनों को पूरा करने का पूरा अवसर दिया।

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जब अपनी बेटी को पढ़ने के लिए गांव से शहर साल 2014 में उस पिता ने भेजा, तो उसे समाज से अनगिनत ताने सुनने को मिले थे, लोग कहते थे कि लगता है जैसे उनकी बेटी कलेक्टर ही बन जाएंगी। इतना ही नहीं इन तानों का सिलसिला तब और बढ़ गया जब बेटी (SDM Ritu Rani Success Story) को सालों तक सफलता नहीं मिल पाई। लेकिन, यूपीपीसीएस 2019 के आए परिणाम में इस बेटी ने डिप्टी कलेक्टर बनकर न केवल अपने पिता का सपना पूरा कर दिखाया बल्कि ताना मारने वाले समाज के मुंह पर जोरदार तमाचा भी जड़ा है। आज उसी समाज के लोग उस बेटी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। और तारीफ आखिर करें भी क्यों न क्योंकि वह बेटी अपने पूरे क्षेत्र में इतनी बड़ी कामयाबी पाने वाली क्षेत्र की पहली बेटी बन गई हैं।

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आज यह बेटी अपने गांव के आसपास की हजारों बेटियों की आइडियल (SDM Ritu Rani Success Story) बन चुकी है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए समाज के ताने सुनने वाले उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह अपनी बेटी को डिप्टी कलेक्टर बनता हुआ नहीं देख सके। आज वह बेटी अपने पिता को याद करते हुए अपने इस संघर्ष को पिता के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धांजलि मानती है। वह कहती है कि मेरे पिता और भाई मेरे लिए भगवान जैसे है, अगर वह मुझ पर भरोसा करते हुए मुझे पढ़ने के लिए शहर न भेजते, तो शायद मैं आज अपने सपने को साकार न कर पाती। रीतू की पढ़ाई में उनके भाईयों ने भी उनका पूरा साथ दिया, जब ऋतू के पिता की मृत्यु हो गई, तो उसके बाद उनके भाईयों ने अपनी बहन का सपना पूरा करने के लिए उसको तैयारी करने का पूरा मौका दिया।

जी हां, यह होनहार बेटी और कोई नहीं बल्कि यूपीपीसीएस 2019 के आए परिणाम में 34वीं रैंक हासिल करके डिप्टी कलेक्टर का पद प्राप्त करने वाली रीतू रानी (SDM Ritu Rani Success Story) है। बेटियों को लेकर बदनाम रहने वाले पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर जिले की रहने वाली रीतू रानी के सपनों को साकार करने में उनके किसान पिता वेद पाल सिंह ने भरपूर साथ दिया। गांव में रहकर खेती करने वाले रितू के पिता ने अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए उसको गांव से बाहर पढ़ने के लिए भेजा। रीतू रानी गांव से बाहर जाकर पढ़ने वाली और अपने क्षेत्र में कामयाब होने वाली पहली बेटी बन गयी हैं।

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बेटी के प्रति रीतू के पिता का कितना समर्पण था इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने रीतू को पहले एमबीए कराया फिर जॉब्स को छोड़ा कर बेटी को सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। रीतू ने अपने पिता से जो भी मांग की उसे हर समय पूरा करने की उन्होंने कोशिश की। उन्होंने बेटी के सपने को पूरा करने के लिए कभी भी समाज की कोई परवाह नहीं की। समाज क्या कहेगा, उनके बिरादरी के लोग क्या सोचेंगे और उनके गांव की पंचायत क्या कहेगी, उन्हें इसकी कभी परवाह नहीं की। लेकिन अफसोस यह है कि जब आज उनकी बेटी ने उनके सपने को साकार किया है तब वे ही जीवित नहीं है। आज जब उनके लिए अब वे दिन आए थे जब उनकी पहचान अपने बेटी के नाम के साथ होती और वह अपनी बेटी (SDM Ritu Rani Success Story) पर गर्व करते..

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